दिल्ली विश्वविद्यालय में बाबा साहब पर टिप्पणी को लेकर NSUI का अमित शाह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन


नई दिल्ली:
आज दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के सदस्यों ने गृह मंत्री अमित शाह के बयान के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने अमित शाह का पुतला जलाकर अपना आक्रोश प्रकट किया। उनका कहना था कि गृह मंत्री द्वारा बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के खिलाफ दिए गए कथित बयान ने संवैधानिक मूल्यों और उनके योगदान का अपमान किया है।

NSUI के विरोध के प्रमुख कारण
NSUI ने अमित शाह पर बाबा साहब की विरासत और उनके विचारों का अपमान करने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने इसे भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। NSUI के दिल्ली प्रमुख ने कहा, “हम इस तरह के बयानों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। बाबा साहब का योगदान अमूल्य है, और हम उनके सम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहेंगे।”

कैम्पस में दिखा विरोध का माहौल
दिल्ली विश्वविद्यालय का उत्तरी परिसर विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बन गया, जहां सैकड़ों छात्र NSUI के बैनर तले इकट्ठा हुए। उन्होंने “Save Constitution” और “Respect Ambedkar” जैसे नारों के साथ रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने अमित शाह से सार्वजनिक रूप से माफी की मांग की।

प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया
विरोध प्रदर्शन को देखते हुए विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई। पुलिस ने स्थिति पर कड़ी नजर रखी और प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने की अनुमति दी।

NSUI का अगला कदम
NSUI ने चेतावनी दी है कि अगर गृह मंत्री अमित शाह ने अपने बयान पर माफी नहीं मांगी, तो आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जाएगा। संगठन के नेताओं ने कहा कि यह विरोध सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर में इसे फैलाया जाएगा।

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हैशटैग और सोशल मीडिया पर समर्थन
सोशल मीडिया पर भी #RespectAmbedkar और #AmitShahApologize जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। NSUI दिल्ली ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम और ट्विटर अकाउंट (@nsui.delhi) पर प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो साझा कीं, जो तेजी से वायरल हो रहे हैं।

संपादकीय टिप्पणी:
इस विरोध ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि नेताओं को संवेदनशील मुद्दों पर बयान देने में अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। बाबा साहब अंबेडकर के योगदान को नकारना, उनके अनुयायियों और भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों का अपमान है।

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(रिपोर्ट: Khabre Vidyarthi)